Dr. Rajkumar Sahitya

THE BEST WAY TO SOLVE THE PROBLEMS

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28/06/2023

श्री बजरंग बाण व संकटमोचन हनुमानाष्टक

 


बजरंग बाण 

दोहा

निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।

तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई

जय हनुमंत संत हितकार, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी
जन के काज बिलंब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै
जैसे कूदि सिंधु महिपारा, सुरसा बदन पैठि बिस्तारा

आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुरलोका
जाय बिभीषन को सुख दीन्हा, सीता निरखि परमपद लीन्हा
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा, अति आतुर जमकातर तोरा
अक्षय कुमार मारि संहारा, लूम लपेटि लंक को जारा

लाह समान लंक जरि गई, जय-जय धुनि सुरपुर नभ भई
अब बिलंब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अंतरयामी
जय-जय लखन प्रान के दाता, आतुर ह्वै दुख करहु निपाता
जय हनुमान जयति बल-सागर, सुर-समूह-समरथ भट-नागर

ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले, बैरिहि मारु बज्र की कीले
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा, ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर सीसा
जय अंजनि कुमार बलवंता, शंकरसुवन बीर हनुमंता
बदन कराल काल-कुल-घालक, राम सहाय सदा प्रतिपालक

भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर अगिन बेताल काल मारी मर
इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की, राखु नाथ मरजाद नाम की
सत्य होहु हरि सपथ पाइ कै, राम दूत धरु मारु धाइ कै
जय-जय-जय हनुमंत अगाधा, दुख पावत जन केहि अपराधा

पूजा जप तप नेम अचारा, नहिं जानत कछु दास तुम्हारा
बन उपबन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हौं डरपत नाहीं
जनकसुता हरि दास कहावौ, ताकी सपथ बिलंब न लावौ
जै जै जै धुनि होत अकासा, सुमिरत होय दुसह दुख नासा

चरन पकरि, कर जोरि मनावौं, यहि औसर अब केहि गोहरावौं
उठु, उठु, चलु, तोहि राम दुहाई, पायँ परौं, कर जोरि मनाई
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता, ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता

ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल, ॐ सं सं सहमि पराने खल-दल
अपने जन को तुरत उबारौ, सुमिरत होय आनंद हमारौ
यह बजरंग-बाण जेहि मारै, ताहि कहौ फिरि कवन उबारै
पाठ करै बजरंग-बाण की, हनुमत रक्षा करै प्रान की

यह बजरंग बाण जो जापैं, तासों भूत-प्रेत सब कापैं
धूप देय जो जपै हमेसा, ताके तन नहिं रहै कलेसा
ताके तन नहिं रहै कलेसा

उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान

दोहा

उर प्रतीति दृढ़, सरन ह्वै, पाठ करै धरि ध्यान।
बाधा सब हर, करैं सब काम सफल हनुमान॥

संकट मोचन हनुमान अष्टक 

बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों I

ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो I

देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो I

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो I

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो I

चौंकि महामुनि साप दियो तब , चाहिए कौन बिचार बिचारो I

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो I को

अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो I

जीवत ना बचिहौ हम सो जु , बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो I

हेरी थके तट सिन्धु सबे तब , लाए सिया-सुधि प्राण उबारो I को

रावण त्रास दई सिय को सब , राक्षसी सों कही सोक निवारो I

ताहि समय हनुमान महाप्रभु , जाए महा रजनीचर मरो I

चाहत सीय असोक सों आगि सु , दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो I को

बान लाग्यो उर लछिमन के तब , प्राण तजे सूत रावन मारो I

लै गृह बैद्य सुषेन समेत , तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो I

आनि सजीवन हाथ दिए तब , लछिमन के तुम प्रान उबारो I को

रावन जुध अजान कियो तब , नाग कि फाँस सबै सिर डारो I

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल , मोह भयो यह संकट भारो I

आनि खगेस तबै हनुमान जु , बंधन काटि सुत्रास निवारो I को

बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो I

देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि , देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो I

जाये सहाए भयो तब ही , अहिरावन सैन्य समेत संहारो I को

काज किये बड़ देवन के तुम , बीर महाप्रभु देखि बिचारो I

कौन सो संकट मोर गरीब को , जो तुमसे नहिं जात है टारो I

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु , जो कछु संकट होए हमारो I को

|| दोहा ||

लाल देह लाली लसे , अरु धरि लाल लंगूर I

वज्र देह दानव दलन , जय जय जय कपि सूर II


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