Dr. Rajkumar Sahitya

THE BEST WAY TO SOLVE THE PROBLEMS

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14/01/2023

Vindhya Vasini Stroat

निशुम्भ शुम्भ गर्जनी, प्रचण्ड मुण्ड खण्डिनी।
 बनेरणे प्रकाशिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥

 त्रिशूल मुण्ड धारिणी, धरा विघात हारिणी। 
गृहे-गृहे निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥ 

दरिद्र दुःख हारिणी, सदा विभूति कारिणी। 
वियोग शोक हारिणी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥ 

 लसत्सुलोल लोचनं, लतासनं वरप्रदं।
 कपाल-शूल धारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनी॥

 कराब्जदानदाधरां, शिवाशिवां प्रदायिनी। 
वरा-वराननां शुभां भजामि विन्ध्यवासिनी॥ 

 क पीन्द्र जामिनीप्रदां, त्रिधा स्वरूप धारिणी।
 जले-थले निवासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥ 

 विशिष्ट शिष्ट कारिणी, विशाल रूप धारिणी। 
महोदरे विलासिनी, भजामि विन्ध्यवासिनी॥ 

 पुंरदरादि सेवितां, पुरादिवंशखण्डितम्‌। 
विशुद्ध बुद्धिकारिणीं, भजामि विन्ध्यवासिनीं॥


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